प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धन्वंतरि जयंती और 9वें आयुर्वेद दिवस के मौके पर देशवासियों को बधाई दी. प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA), नई दिल्ली में 12,850 करोड़ रुपये से अधिक की स्वास्थ्य क्षेत्र से संबंधित कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया. प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर कहा कि इस बार की दिवाली खास है. उन्होंने कहा कि2 दिन बाद हम दीपावली का पर्व मनाएंगे. इस साल की दीपावली बहुत खास है. 500 सालों के बाद प्रभु श्रीराम अयोध्या के अपने भव्य मंदिर में विराजमान हैं. उस भव्य मंदिर में विराजमान होने के बाद ये पहली दीपावली है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर की इस भव्य दीपावली की प्रतीक्षा में कई पीढियां गुजर गईं. लाखों लोगों ने बलिदान दिए, यातनाएं झेलीं. आज हम सभी बहुत सौभाग्यशाली हैं, जो ऐसी खास और भव्य दीपावली के साक्षी बन रहे हैं.
51 हजार युवाओं तो नियुक्ति पत्र
प्रधानमंत्री मोदी ने इसी के साथ कहा कि आज इस पवित्र मौके पर लगे रोजगार मेले में 51 हजार युवाओं तो नियुक्ति पत्र दिये जा रहे हैं. दिवाली के करीब आने के साथ ही दिल्ली-NCR की हवा जहरीली हो जाती है. दिल्ली से सटे कई इलाकों में प्रदूषण का लेवल इतना बढ़ जाता कि सांस लेना तक मुश्किल हो जाता है. बीते कई वर्षों की तरह इस बार भी वैसा ही हो रहा है. NCR में आने वाले उत्तर प्रदेश के दो बड़े शहर नोएडा और गाजियाबाद की हवा भी इन दिनों बेहद खराब है. यहां पर AQI का लेवल 300 के पार है. इन शहरों में प्रदूषण क्यों बढ़ रहा है, यूपी सरकार ने इसकी वजह बताई है. राज्य सरकार का कहना है कि नोएडा और गाजियाबाद में ‘बहुत खराब’ वायु गुणवत्ता के लिए पाकिस्तान जिम्मेदार है, क्योंकि सीमापार के खेतों की आग जहरीला धुआं भेज रही है.
0 और 50 के बीच एक AQI को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 और 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है. ग्रेटर नोएडा में राज्य प्रदूषण मॉनिटर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया. इस साल यह पहली बार है कि सभी तीन शहरों नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में एक ही दिन में वायु गुणवत्ता बहुत खराब देखी गई और इसके लिए हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान को दोषी ठहराया जाना चाहिए. उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के डीके गुप्ता ने कहा कि पराली जलाने की बढ़ती घटनाएं सीमा पार जहरीला धुआं भेज रही हैं. उत्तर भारत और पूर्वी पाकिस्तान में घना और जहरीला धुआं छाया हुआ है. दिवाली के बाद यह स्थिति और खराब होने की संभावना है.
आरोपों में कितना दम?
यूपी सरकार प्रदूषण के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार मान रही है तो इसकी वजह भी है. नोएडा-गाजियाबाद में AQI 300 के पार है तब पाकिस्तान के शहर लाहौर में ये सोमवार को 700 को पार कर गया. यह स्वस्थ वायु के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दिशानिर्देशों का लगभग 65 गुना है. लाहौर भारत की सीमा से 25 किमी दूर है.
मौसम संबंधी पूर्वानुमानों के मुताबिक, हवा ऐसी नहीं है कि जिन स्थानों पर पराली जलाई जा रही है वहां का धुआं दिल्ली पहुंचे. लोकल विंड अभी जीरो है, जिससे प्रदूषक जमा हो गए हैं. पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने पर रोक लगाने में विफल रहने के लिए पंजाब और हरियाणा की सरकारों को फटकार लगाई थी. हालांकि स्थानीय अधिकारियों का दावा है कि उन्होंने हाल के वर्षों में इस पराली जलाने के मामलों को काफी कम कर दिया है.इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी के बुलेटिन के अनुसार, 28 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रहने का अनुमान है. दिवाली के बाद इसके और खराब होने की संभावना है, जो ‘गंभीर’ की श्रेणी तक पहुंच सकती है.
एक ओर जहां प्रदूषण के लिए यूपी सरकार पाकिस्तान को जिम्मेदार बता रही है तो वहीं पाकिस्तान ने इसके लिए भारत पर आरोप लगा दिया है. पड़ोसी मुल्क के मुताबिक, हाल के आंकड़ों के अनुसार भारत से आने वाली प्रदूषित हवाओं ने शहर की वायु गुणवत्ता को खराब कर दिया है, जिससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है.
पाकिस्तान में बढ़ते प्रदूषण की क्या वजह?
लाहौर में धुंध की स्थिति पर पर्यावरण संरक्षण और संस्कृति परिवर्तन विभाग (ईपीसीसीडी) के सचिव राजा जहांगीर अनवर ने कहा, धुंध के कई कारण हैं, जिनमें वाहनों का धुआं, पराली जलाना, कारखानों से निकलने वाला उत्सर्जन और ईंट भट्ठा संचालन शामिल हैं. उन्होंने वैज्ञानिक अनुसंधान की कमी की ओर भी इशारा किया. पाकिस्तान में जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, खाद्य एवं कृषि संगठन और शहरी इकाई की ओर से तीन स्टडी की गई. उन्होंने कहा कि इन तीनों अध्ययनों में स्मॉग के अलग-अलग प्रमुख कारणों का जिक्र किया गया है. एक स्टडी में दावा किया गया कि वाहन 40 प्रतिशत, दूसरे स्टडी में 60 प्रतिशत और तीसरे 80 प्रतिशत दुर्घटना का कारण बन रहे हैं. उन्होंने कहा कि शहर और उसके आसपास 45 लाख मोटरसाइकिलें, 13 लाख कारें और ट्रक, 6,800 कारखाने, 1,200 ईंट भट्ठे चल रहे हैं और कसूर, शेखूपुरा, ननकाना और गुजरांवाला में भी पराली जलाई जा रही है.